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Wednesday, June 9, 2010

बसौ मोरे

बसौ मोरे नैनन में नंदलाल।
मोहनि मूरति, सांवरी सूरति, नैना बने बिसाल।
मोर मुकुट, मकराकृत कंुडल, अस्र्ण तिलक दिये भाल।
अधर सुधारस मुरली राजति, उर बैजंती माल।
छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल।
मीरां प्रभु संतन सुखदाई, भगत बछल गोपाल।

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