tag:blogger.com,1999:blog-8334604821743843744.post3526490201251333136..comments2023-09-28T17:15:47.154+05:30Comments on 'समीक्षा: दिन में दिखा ताराAnamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8334604821743843744.post-21759941156073094842010-07-17T01:05:03.571+05:302010-07-17T01:05:03.571+05:30अनामिका जी, ये कहने से बिलकुल नहीं चूकुं गा की आप ...अनामिका जी, ये कहने से बिलकुल नहीं चूकुं गा की आप का ब्लॉग प्रस्तुतीकरण का ढंग बहुत ही अच्छा है. जहाँ तक इस रचना का सवाल है यह दिल को छु लेने वाली है...वास्तव में आप काव्यानुवाद की कला में काफी निपुण लगती हैं!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8334604821743843744.post-82442396022835514332010-07-14T15:58:56.999+05:302010-07-14T15:58:56.999+05:30ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भाव...ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8334604821743843744.post-24740448693689680282010-07-14T06:46:28.369+05:302010-07-14T06:46:28.369+05:30ब्लॉग तो अच्छा लगा ही. सुकुमार राय का यह आबोल-ताबो...ब्लॉग तो अच्छा लगा ही. सुकुमार राय का यह आबोल-ताबोल का हिंदी भावानुवाद भी भाया.रतन चंद 'रत्नेश'https://www.blogger.com/profile/05057949937682810035noreply@blogger.com