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Monday, July 26, 2010

कविता रच डाली

आसमान में बादल छाया 
छुप गया सूरज शीतल छाया 
मेरे इस उद्वेलित मन ने 
          कविता रच डाली 

Storm Watchठंडी हवा का झोंका आया 
कारी बदरी मन भरमाया 
मन-मयूर ने पंख फैलाकर 
          कविता रच डाली 
गीली मिटटी की खुश्बू से 
श्यामल-श्यामल सी धरती से 
मन के अन्दर गीत जागा और 
            कविता रच डाली 

ये धरती ये कारी बदरी 
मन को भरमाती ये नगरी 
उद्वेलित कर गयी इस मन को और मैंने 
                        कविता रच डाली

4 comments:

  1. बहुत से कारण होते हैं कविता रचने के और उन्हें बहुत ही खूबसूरती से पिरोया है कविता मे।

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  2. kavi man aisa hi hota hai...kab kis baat par kavita rach daale kahna kathin hai...
    bahut sundar...

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  3. गीली मिटटी की खुश्बू ....hoti hi aisi hai!!

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  4. Vakai mein, ise kahte hain mitti ki saundhi-saundhi khushboo!

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