छुप गया सूरज शीतल छाया
मेरे इस उद्वेलित मन ने
कविता रच डाली
कारी बदरी मन भरमाया
मन-मयूर ने पंख फैलाकर
कविता रच डाली
गीली मिटटी की खुश्बू से
श्यामल-श्यामल सी धरती से
मन के अन्दर गीत जागा और
कविता रच डाली
ये धरती ये कारी बदरी
मन को भरमाती ये नगरी
उद्वेलित कर गयी इस मन को और मैंने
कविता रच डाली
बहुत से कारण होते हैं कविता रचने के और उन्हें बहुत ही खूबसूरती से पिरोया है कविता मे।
ReplyDeletekavi man aisa hi hota hai...kab kis baat par kavita rach daale kahna kathin hai...
ReplyDeletebahut sundar...
गीली मिटटी की खुश्बू ....hoti hi aisi hai!!
ReplyDeleteVakai mein, ise kahte hain mitti ki saundhi-saundhi khushboo!
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