कौन ले गया नींद इन अखियन से
मर गए हम तुम्हारी इन आंख मिचौली से
ये अकेली फिर रही हूँ मै किसके लिए
ये आँखें है प्यासी किसके झलक के लिए
क्यों रुदन करे हिया केवल उसके लिए
क्यों वेदना से भर गया हृदय मेरा
ये छलछलाती आँखों का क्रंदन मेरा
कहीं बरस जाए न बादल की तरह
आ जाओ जीवन में सांसों की तरह
सुन्दर रचना!!
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