मुझे ये बात समझ में नहीं आ रही है की कसाब व अफजल जैसे आतंकियों की फांसी में देरी क्यों की जा रही है?सरकार पर से जनता का विश्वास तो वैसे ही उठ चूका है|दिल्ली हाईकोर्ट हमले के बाद कथित रूप से हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लाम (हुजी) ने मेल भेजकर इन हत्याओं की जिम्मेदारी ले ली है |और साथ में धमकी दी गयी है की अफजल गुरु को अगर फांसी दे दी गयी तो तो देश में और भी खतरनाक हमले किये जायेंगे |तो क्या सरकार दर गयी? उसे अब देश की सुरक्षा व्यवस्था पर विश्वास नहीं रहा? अभी तक तो सोनिया गाँधी का भारतीय डॉक्टरों पर विश्वास नहीं है ये ही पता चला था पर अब क्या सरकार को अपने देश के सुरक्षा पर से भी विश्वास उठ गया है ? आखिर क्यों फांसी में देरी की जा रही है?आखिर क्यों जनता के पैसे को इनके पीछे बर्बाद किया जा रहा है?एक गरीब मेहनतकश मजदूर को इलाज के लिए मारा मारा फिरना पड़ता है और इनको अच्छे अस्पतालों में इलाज मुहैया करवायी जाती है |और जब इन्हीं बातों को लेकर जन-प्रतिनिधि आवाज़ उठाते है तो उन पर लाखों रुपये का जुरमाना ठोक दिया जाता है जैसे ये कहा जा रहा है की तुम कोई आतंकवादी नहीं हो की तुम्हारा ख्याल रखा जाए तुम एक आम आदमी हो और सरकार का काम है आम आदमी के आवाज़ को दबाना | आम आदमी तुम औकात में रहो! अब भी समय है सरकार,जनता की शक्ति को पहचानिए |अपनी कमियों को खंगाले!और समय की मांग के अनुसार अपने नीतियों में सुधर लाये | अपने अहम् को देश के कम काज में बाधक न बनने दे | अन्ना का आन्दोलन भ्रष्टाचार के मामले में दश को तो झकझोर दिया है पर सरकार ने इससे कुछ भी सबक सीखा है?जाग जाइये जनता के पास हथियार के नाम पर वोट है जिसे जनता ने अपने हित में प्रयोग करना सीख लिया है | जागो सरकार जागो!
हालात बहुत खराब हो गए हैं.
ReplyDeleteबदलाव होगा, जरूर होगा। अब समय आ गया है, जनता जाग चुकी है।
ReplyDeleteसही लिखा है ..पर सरकार तो चुनाव में भी गडबड करवा देती है तब ?
ReplyDeleteजागो सरकार जागो....आवाज और तेज करनी होगी!!! सार्थक आलेख.
ReplyDeleteसार्थक और सामयिक लेख
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