Followers

Friday, April 2, 2010

कबीर के दोहे


माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय ।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय ॥
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर ॥

1 comment:

  1. संत कबीर का कहना है मिट्टी कुम्हार से कहता है तुम क्या मुझे रौंद रहे हो ऐसा भि दिन आयेगा मैन तुम्हे रौदुन्गी ।
    हे मनुष्य माला फ़ेर कर तुम्ने दिन बिता दिये पर फ़िर मन के फ़ेर को दूर नही कर पाये हाथ के माला को न फ़ेर कर मन के मोतियो को फ़ेरो।
    कबीर का यही रहस्यवाद कबीर को ऊन्चाइयो के पराकष्ठा तक पहुचा देता है/

    ReplyDelete

comments in hindi

web-stat

'networkedblogs_

Blog Top Sites

www.blogerzoom.com

widgets.amung.us