सावन जो आयो मै हो जाऊँगी रे उदास
ये बरखा के रिमझिम ये साँसे ये धड़कन कहे
न जाओ सजन छोड़ो अब न करो धन की आस
उन पैसों का क्या काम जो ले जावे है मुझसे दूर
मेरे मन का आँगन पड़ी रह जावेगी सून
न जइयो न जइयो पुकारूँ तुझे बार बार
रुक जइयो सुनकर ये कारुणिक मेरी है पुकार
bahut bariya. kya khoob likha hai. banaras ki wohi purani yaaden lauta di. shukriya.school main bhojpuri gaano par mera dance aur singing ka competition sab yaad aa gaya. wah wah.
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