कुछ बूँदें चुरा लूं
तेरे जुल्फों के साए में
जीवन गुज़ार दूं
तेरे अधरों की मुस्कान पर
जां निसार दूं
दिल की माने तो तन मन बिसार दूं
पर तुझको नहीं है इल्म
मेरे प्यार का
तू तो है बेखबर नहीं है बेवफा
समझोगी जिस दिन तुम
मेरे प्यार को
आओगी मेरे ही पास जान लो
रह न सकोगी मुझसे जुदा होकर
इतना भरोसा है अपने प्यार पर
खुदा करे कि आपको जिस पर भरोसा है वह वापस आ जाए। नहीं तो कोई किसी पर भरोसा नहीं करेगा। मेरी शुभकामनाएं।
ReplyDeletehttp://udbhavna.blogspot.com/
बहुत सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteरचना बेहतरीन है..आभार
ReplyDeleteइतना भरोसा है अपने प्यार पर ..
ReplyDeletewaah !
रह न सकोगी मुझसे जुदा होकर
ReplyDeleteइतना भरोसा है अपने प्यार पर
sundar kavita...
waah bahut sundar
ReplyDeleteवाह तुझको इल्म नही मेरे प्यार का
ReplyDeleteतारीफ के तहखाने में शब्द नहीं है