सूरज को रोशनी से
बादल को बूंदों से प्यार ही तो है
पेड़ों को साए से
धरती को आस्मां से
ईश्वर को भक्तों से प्यार ही तो है
सागर अपने तट से
बादल अपने पथ से
वायु अपने वेग से
होता नहीं जुदा
क्यों न हम सब मिलकर बनाये ऎसी दुनिया
अपनों में हो सद्भाव देश से न हो जुदा
koshish karenge to zarur banegi...
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