पथिक तू चलते रहना थक मत जाना
पथिक रे मुखरित होना चुप मत रहना
पथिक हाय क्यों तू गुमसुम डर मत है हम
पथिक तू नहीं अकेला तुझे है समर्थन
तू बस इतना कर दे आवाज़ उठा ले
सोते हुए को झट जगा दे
जो है भ्रष्टाचारी , हत्यारे और आतंकी
स्थान नहीं ऐसों का हो प्रण ये जन जन की
पथिक टी बोल देश के तथाकथित उन भद्र जनों को
भद्रता है क्या ये अन्याय देखकर चुप बैठे वो
जमकर हल्ला बोए विरोध जताए की है उनको परेशानी
क्यों ये सहते रहते है और अधिक सहने की है ठानी
भीरुता और कायरता द्योतक है निर्बल देश का
पर हम है बलशाली त्याग दे मन की सब कायरता
हमें तो करना है निर्माण एकीकृत भद्र समाज की
जहां न हो स्थान इन हत्यारों , भ्रष्टों और आतंक की
बहुत अच्छे।
ReplyDeleteभीरुता और कायरता द्योतक है निर्बल देश का
ReplyDeleteपर हम है बलशाली त्याग दे मन की सब कायरता
हमें तो करना है निर्माण एकीकृत भद्र समाज की
जहां न हो स्थान इन हत्यारों , भ्रष्टों और आतंक की
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/\