पर झूट के तो नहीं होते है पाँव
गुंडागर्दी , चोरी , लूटपाट
त्रस्त है देश इन सबसे आज
कहाँ है वो जो सुधारेंगे देश को
ऐसा ही कुछ लिया था प्रण बढ़ाकर आवेश को
पर ऐसा कुछ हमें द्रष्टव्य न हुआ
देश तो और भी पतन की ओर गया
आतंकी,अतिवादियों ने देश कब्जाया
देश का ठेकेदार मूंह ताकता रह गया
नियति हमारी क्या इतनी ही खराब है ?
कब लेंगे अवतार कल्कि जी बस आपका इंतज़ार है
... बेहद प्रभावशाली है ।
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