माला फेरे हरी मिले,गले रहट के देख II1II
कबीर जी कहते है कि मन का माला ही सच्चा होता है बाक़ी तो दिखावा है यदि माला फेरने से ही भगवान् मिलता है तो रहट के गले को देख कितनी बार वो माला फिरती रहती है . अर्थात मन से फ़रियाद करने पर ही इश्वर प्राप्त होता है .जहां दया तहां धर्मं है , जहां लोभ तहां पाप,
जहां क्रोध तहां पाप है,जहां क्षमा तहां आप II2II
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय
माली सींचे सौ घडा , ऋतू आये फल होय II3II
रे मन चिंता मत कर ! धीरे - धीरे सब कुछ हो जाएगा जिस तरह माली साल भर सौ -सौ घडा पानी पेड़ में देता है पर फल मौसम आने पर ही लगता है . अर्थात सभी कम समय आने पर ही पूरा होगा धैर्य रखना चाहिए
सादर वन्दे !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर | कबीर को समझना ही अपने आप में आध्यात्मिकता की पराकाष्ठा है, क्योंकि ...
कबीरदास की उल्टी वाणी
बरसे कम्बल भीगे पानी |
रत्नेश त्रिपाठी
आभार व्याख्या के लिए.
ReplyDeletei want 10 pad of kabir
ReplyDeletei want 10 pad of kabir
ReplyDeleteसहेबनदगी
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