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Saturday, November 13, 2010

नि:शब्द




खामोश हम तुम
बात ज़िन्दगी से
आँखों ने कुछ कहा
धड़कन सुन रही है

धरती से अम्बर तक
नि:शब्द संगीत है
मौसम की शोखियाँ भी
आज चुप-चुप सी है

गीत भी दिल से
होंठ तक न आ पाए
बात दिल की
दिल में ही रह जाए
.
जिस्मो की खुशबू ने
पवन महकाया है
खामोशी को ख़ामोशी ने
चुपके से बुलाया है
.
प्यार की बातों को
अबोला ही रहने दो
नि:शब्द इस गूँज को
शब्दों में न ढलने दो
.
प्यार के भावो को
शब्दों में मत बांधो
चुपके से इस दिल से
संगीत का स्वर बांधो
.
स्वर ही है इस मन के
भावो को है दर्शाती
प्यार जो चुप चुप है
जुबां से निकल आती

2 comments:

  1. खामोशी को ख़ामोशी ने
    चुपके से बुलाया है
    अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई

    ReplyDelete
  2. आपकी यह रचना पहले भी पढ़ी है ..बहुत खूबसूरत लगी थी ..इसका जीके यहाँ भी था ...

    http://charchamanch.blogspot.com/2010/11/24-333.html

    ReplyDelete

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