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Thursday, December 23, 2010

सुबह सुबह चिट्ठाजगत के पोस्ट.........

सुबह सुबह चिट्ठाजगत के पोस्ट देखकर दिल बाग-बाग हो गया ........मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाये
साथ ही मेरी इस रचना का भी आनंद लीजिये .....
यारा लगा मन फकीरी में 
न डर खोने का 
न खुशी कुछ पाने का 
ये जहां है अपना 
बीते न दिन गरीबी में 

यारा लगा मन फकीरी में 

जब से लागी लगन उस रब से 
मन बैरागी सा हो गया 
पथ-पथ घूमूं ढूंडू पिया को 
ये फकीरा काफ़िर बन गया 

मन फकीरा ये जान न पाए 
आखिर उसे जाना है कहाँ 
रब दे वास्ते ढूंडन लागी 
रास्ता-रास्ता गलियाँ-गलियाँ 

क्या करूँ कुछ समझ न आये 
उस रब दे मिलने के वास्ते 
ढूँढ लिया सब ठौर-ठिकाने 
गली,कूचे और रास्ते 

जाने कब जुड़ेगा नाता 
और ये फकीर तर जावेगा 
सूख गयी आँखे ये देखन वास्ते 
रब ये मिलन कब करवावेगा

2 comments:

  1. अंतर्मन में झांकिये ..रब मिल जायेगा ...अच्छी प्रस्तुति

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  2. चिन्ता न करें...चिट्ठाजगत को तो वापस आना ही है..दिसम्बर एण्ड तक बस समस्या है.

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