पस्त - पस्त सा क्यों है पड़ा तू ?खस्ता - खस्ता सा हाल है क्यों
असरत - कसरत कर के बनाया हृष्ट - पुष्ट सा ये काया
नष्ट न कर इस नियामत को चुस्ती तेरा सबको भाया
क्यों है निराश इस जीवन से निकल अवसाद के घेरे से
मनोकामना पूरी करले ऊबर मन के अँधेरे से
सफलता - असफलता लगा रहता है न कर निराश इस मन को तू
सफलता जिस दिन हाथ लगेगी संघर्ष के दिन न जाना भूल
निराशा में आशा छिपा है सर्वविदित है ये दर्शन
योग्य है तू काबिल है तू है जगजाहिर क्यों तू है खिन्न
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