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Thursday, August 5, 2010

काली घटा

ये काली घटा ने देखो
  क्या रंग दिखाया
नाच उठा मन मेरा
  हृदय ने गीत गाया

सूखी नदियाँ प्लावित हुई
  जीवन लहलहाया
दादुर,कोयल,तोता,मैना ने
  गीत गुनगुनाया

तप्त धरती शीतल हुई
  बूंदे टपटपाया
धरती ने आसमान को छोड़
  बादल को गले लगाया

रवि ज्योति मंद पड़ा
  मेघ गड़गड़ाया
नृत्य मयूर का देख
 ये मन मुस्कराया

अब इसे भी बर्दाश्त कर लीजिये
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