ये काली घटा ने देखो
क्या रंग दिखाया
नाच उठा मन मेरा
हृदय ने गीत गाया
सूखी नदियाँ प्लावित हुई
जीवन लहलहाया
दादुर,कोयल,तोता,मैना ने
गीत गुनगुनाया
तप्त धरती शीतल हुई
बूंदे टपटपाया
धरती ने आसमान को छोड़
बादल को गले लगाया
रवि ज्योति मंद पड़ा
मेघ गड़गड़ाया
नृत्य मयूर का देख
ये मन मुस्कराया
अब इसे भी बर्दाश्त कर लीजिये
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