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Thursday, April 22, 2010

मेरी वीणा ने कौन ने ये कौन सा सुर बजाया

मेरी वीणा ने  ये कौन सा सुर बजाया ये नव चंचल छंद क्या है जो मन को है भाया
ये कौन अशांत चंचल तरुण है आया ये किसका वसनांचल उड़-उड़ के छाया

ये कौन है जिसने अलौकिक नृत्य है किया ये  वनांतर अधीर आनंद से मुखरित हुआ
मेरी वीणा ने  ये कौन सा सुर बजाया ये कौन जो मेरे में को भाया

इस अम्बर प्रांगन में निस्वर मंजिर गूंज रही है
अनसुनी सी ताल पर पल्लव पुंज करताली बजा रही है

ये किसके पदचाप सुनाने की है  आशा
 त्रिन-त्रिन को है अर्पण उस पदचाप की भाषा
ये कौन से  वन-गंध से समीरण है बंधनहारा

2 comments:

  1. बहुत सुंदर


    bahut khub


    shekhar kumawat


    http://kavyawani.blogspot.com/

    ReplyDelete
  2. ये तो बहुत ही सुन्दर रचना है....."

    ReplyDelete

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