Followers

Sunday, June 13, 2010

क्या लिखूं .............................

       क्या लिखूं आज समझ न आये 
कविता , कहानी या ग़ज़ल 
वर्ण, छंद लय हाथ न आये 
स्वयं रचूं या करूँ नक़ल 


पर रचना अपने आप जो आये 
उसकी महत्ता ही निराली है 
शब्द जो स्वयं रच जाए 
अपनी रचना वो कहलाती है 


अपने भावों को शब्दों में ढाला 
तो कविता रच गयी 
धीरे - धीरे खोयी व्यंजना 
शब्दों में आकर ढल गयी 


इस तरह मेरे कविता को 
एक शरीर मिल गया 
खोयी हुई अपनी काया को 
अंतत: कविता ने हासिल कर लिया 


LaGASSE's SIGNATURE 'FOSSIL TEXTURE' PAINTINGS.
LaGASSE's SIGNATURE 'FOSSIL TEXTURE' PAINTINGS.

8 comments:

  1. वाह कुछ लिखने की सोच पर भी यूं लिखा जा सकाता है

    ReplyDelete
  2. आपकी पोस्ट अच्छी है

    ReplyDelete
  3. कविता स्वयं ही रूप धारण करती है...अच्छी अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  4. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete

comments in hindi

web-stat

'networkedblogs_

Blog Top Sites

www.blogerzoom.com

widgets.amung.us