* क्रमशः :- "जवाहरलाल को और बच्चों की तरह स्कूल नहीं भेजा गया, उनकी शिक्षा अंग्रेज महिलाओं द्वारा घर पर ही हुई। जब वह ग्यारह साल के हुए तो एफ. टी. ब्रुक्स नाम के एक अंग्रेज अध्यापक को उनकी शिक्षा के लिए नियुक्त किया गया। उस समय ये लोग 'आनंद भवन' में रहते थे, जो एक शहाना महल था और मोतीलाल नेहरू ने हाल ही में बनवाया था। ब्रुक्स भी उनके साथ ही आनंद भवन में रहता था। इस व्यक्ति की संगति ने जवाहरलाल को कई तरह से प्रभावित किया। पहली बात तो यह कि जवाहरलाल को किताबें पढ़ने की चाट लगी और उन्हें केरोल तथा किपलिंग की पुस्तकें खास तौर पर पसंद आई। सर्वेंटीज का विख्यात उपन्यास 'डान क्विकजाट' भी इन्हीं दिनों पढ़ा। दूसरे ब्रुक्स ने विज्ञान के रहस्यों से भी जवाहरलाल का परिचय कराया। जवाहरलाल नेहरू ने लिखा है कि आनंद भवन मे विज्ञान की प्रयोगशाला खड़ी कर ली गई थी, जिसमें वह घंटों वस्तु-विज्ञान और रसायन - शास्त्र के प्रयोग किया करते थे, जो बड़े दिलचस्प मालूम होते थे। तीसरी बात यह है कि ब्रुक्स की संगत में जवाहरलाल पर थियोसाॅफी का सवार हुआ और कुछ समय तक बड़े जोर से सवार रहा। क्रमशः
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