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Sunday, April 23, 2017

*हंसराज रहबर की पुस्तक "नेहरू बेनकाब" का अंश क्रमशः - 3

"मोतीलाल दिलेर तबियत के शाह-खर्च आदमी थे, फिर उन्हें अपने-आप पर यह भरोसा था कि जितना खर्च करेंगे उससे कहीं अधिक बात की बात में कमा लेंगे। नतीजा यह हुआ कि परिवार का जीवन देखते ही देखते पूर्ण रूप से विलायती सांचे में ढल गया। इसी वातावरण में जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को हुआ। जवाहरलाल मोतीलाल के इकलौते बेटे थे, जाहिर है कि लाडले बेटे थे। विजय लक्ष्मी और कृष्णा जवाहरलाल की दो बहने थी, जो क्रमशः ग्यारह और चौदह साल बाद पैदा हुईं। वैसे नेहरू - परिवार एक भरा-पूरा परिवार था। जवाहरलाल के बहुत - से चचरे भाई-बहन थे। लेकिन उम्र में सब काफी बड़े थे और स्कूल जाते थे। जवाहरलाल उन सबका नन्हा-मुन्ना खिलौना था। जवाहरलाल का लालन-पालन बिलकुल अंग्रेजी ढंग से हुआ और उनकी देख-रेख के लिए अंग्रेज आया रखी गयी। हर साल जवाहरलाल की वर्षगांठ बड़े धूम-धाम से मनाई जाती थी। उस दिन उन्हें गेहूं तथा दूसरे अनाज से एक बहुत बड़ी तराजू में तोला जाता था और यह अनाज गरीबों में बांट दिया जाता। मां अपने लाडले को अपने ही हाथों से नहला - धुलाकर नए कीमती कपड़े पहनती, फिर जवाहरलाल को तरह - तरह के उपहार दिये जाते और रात को शानदार दावत होती थी, जिसमें शहर के रईसों और वकीलों के अलावा मोतीलाल नेहरू के अंग्रेज दोस्त भी शामिल होते थे।"*

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