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Saturday, June 19, 2010

अनुमति दो माँ ...............

चरण-स्पर्श का अनुमति दो माँ 
चरणों से दूर  मत करो 


           जो  अधिकार  जन्म से  है मिला 
उस अधिकार को मत हरो 


ऐसा क्या अनर्थ हुआ  मुझसे 
कि आपने मूंह फेर लिया 


नौ महीने  गर्भ में स्थान दिया 
और दुनिया में लाकर त्याग दिया 


माना कि गलती थी मेरी 
आपका सुध मैंने नही लिया 


पर ममता नही होता क्षण-भंगुर 
कभी त्याग दिया कभी समेट लिया 


माना मै हूँ स्वार्थ का मारा 
माँ की ममता न पहचान पाया 


पर आप ने भी अधिकार न जताया 
मुझे पराया  कर तज दिया 


अब मेरी बस इतनी इच्छा है 
आप की गोद में  वापस आऊँ 


अपने संतान से आहत हुआ जब  
लगा आपकी  गोद में ही सिमट जाऊं 

1 comment:

  1. कविता आपकी पर भाव मेरे हैं, आपने तो जैसे मेरे भाव चुरा ही लिये, एसे भला कैसे हुआ?
    Anonymous (पर आपके द्वारा समीक्षित)

    ReplyDelete

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