अब भ्रष्टाचार पर काबू पाने का एक नया तरीका ईजाद किया जा रहा है - घूस को मान्यता दो |पहले वित्त मंत्रालय के प्रधान सलाहकार कौशिक बसु ने यह कह कर कि कुछ खास तरह के घूस देने के मामलों को वैध कर देना चाहिए. तभी से इस पर बहस चल रही है. अब इनफ़ोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने भी बसु के सुर में सुर मिला कर बहस को नयी दिशा दे दी है.मौजूदा समय मे रिश्वत देना वा लेना दोनो ग़ैरक़ानूनी है पर यदि कुछ हद तक अगर घूस लेने की मान्यता दी जाय तो शायद बहुत सारे बड़े रिश्वत खोरों के बारे मे पता चल सकता है ऐसा इनका कहना है|
अब ये कहाँ तक सही दिशा मे चल पाएगा ये सबसे बड़ा प्रश्न है| क्या देश का आम नागरिक इस प्रकार के किसी प्रयोग से सहमत है ? क्योंकि पहले ही हम भ्रष्टाचार के सर्प-दंश से आहत है | परीक्षा से पहले पेपर लीक हो जाता है-भूमि बिकने के बाद आबंटन रद्द कर दी जाती है - सरकारी नोटो का माला बनाकर मुख्यमंत्री को पहनाई जाती है तो नोटों की शान बढ़ जाती है ये कुछ कारनामे सरकारी महकमों मे चल रहे है - पर जनता महँगाई के खिलाफ आवाज़ उठाए तो सरकारी दमनचक्र चलाया जाता है | ऐसे मे ये अनोखा पहल कहा तक सार्थक सिद्ध होगा ये दीगर की बात है | बस हम तो यही कह सकते है:-
इफ्त्दा-ए-इश्क है रोता है क्या
आगे-आगे देखिए होता है क्या
अच्छी पोस्ट!
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