1253 खुसरो Patiali में आज जो उत्तरी भारत में उत्तर प्रदेश का राज्य है में एटा के पास का जन्म हुआ. उनके पिता अमीर सैफुद्दीन बल्ख से आधुनिक दिन अफगानिस्तान में और उसकी माँ आया दिल्ली के थे. 1260 अपने पिता, खुसरो की मौत के बाद उसकी माँ के साथ दिल्ली गया था. 1271 खुसरो कविता की अपनी पहली दीवान संकलित, "Tuhfatus-Sighr". 1272 खुसरो अदालत कवि के रूप में राजा Balban भतीजे मलिक Chhajju के साथ अपनी पहली नौकरी मिल गई. 1276 खुसरो Bughra खान के बेटे (है Balban के साथ एक कवि के रूप में काम शुरू कर दिया). जबकि उसका दूसरा दीवान, Wastul-हयात, खुसरो बंगाल का दौरा किया लिखने 1279. 1281 सुल्तान मोहम्मद (है Balban दूसरे बेटे से कार्यरत हैं) और उसके साथ मुल्तान के पास गया. 1285 खुसरो हमलावर मंगोलों के विरुद्ध युद्ध में एक सैनिक के रूप में भाग लिया. वह कैदी लिया था, लेकिन बच गया. 1287 अमीर खुसरो हातिम अली (एक और संरक्षक) के साथ अवध के पास गया. 1288 उनकी पहली mathnavi, "Qiranus-Sa'dain" पूरा किया गया. 1290 जब जलाल दिन Firuz Khilji उद सत्ता में आई है, खुसरो द्वितीय mathnavi, "Miftahul Futooh" के लिए तैयार था. 1294 उनके तीसरे दीवान "Ghurratul-कमल 'पूरा हो गया. 1295 Ala उद दिन Khilji (कभी कभी वर्तनी "Khalji") सत्ता में आई और Devagiri और गुजरात पर हमला किया.1298 खुसरो अपने 'Khamsa-ई पूरा-Nizami ". इतिहास 1301 Khilji Ranthambhor, चित्तौर, मालवा और अन्य स्थानों पर हमला किया, और खुसरो राजा के लिए लिखने के लिए के साथ रहे. 1310 खुसरो निजामुद्दीन Auliya के लिए बंद हो गया, और Khazain उल Futuh पूरा किया. 1315 अलाउद्दीन Khilji मर गया. खुसरो mathnavi "Duval रानी-Khizr खान पूरा '(एक रोमांटिक कविता). 1316 कुतुब उद दिन मुबारक शाह राजा बन गया है, और ऐतिहासिक चौथे mathnavi Noh 'Sepehr "पूरा किया गया. 1321 मुबारक Khilji (कभी कभी वर्तनी "मुबारक Khalji") की हत्या और Ghiyath अल था दीन तुगलक सत्ता में आई थी. खुसरो को Tughluqnama लिखना शुरू कर दिया. 1325 सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक के सत्ता में आए थे. निजामुद्दीन Auliya मृत्यु हो गई और छह महीने बाद इतनी खुसरो किया. है खुसरो कब्र दिल्ली के निजामुद्दीन दरगाह में अपने गुरु के पास है. खुसरो रॉयल कवि
खुसरो सर्जनात्मकता का शास्त्रीय दिल्ली सल्तनत से अधिक सात शासकों की शाही अदालतों से जुड़े कवि था. वह उत्तर भारत और पाकिस्तान में बहुत लोकप्रिय है, क्योंकि कई खिलाड़ी पहेलियों, गीतों और किंवदंतियों के उसे जिम्मेदार ठहराया. अपने भारी साहित्यिक उत्पादन और प्रसिद्ध लोक व्यक्तित्व के माध्यम से, खुसरो पहले एक सच्चे बहु सांस्कृतिक या बहुलवादी पहचान के साथ (रिकॉर्ड) भारतीय personages में से एक का प्रतिनिधित्व करता है.
वह दोनों फारसी और हिंदुस्तानी में लिखा था. उन्होंने यह भी तुर्की, अरबी और संस्कृत बात की थी. उनकी कविता अब भी पाकिस्तान और भारत में सूफी दरगाहों पर आज गाया है.
अमीर खुसरो एक Khamsa के लेखक जो अनुकरणीय था कि के पहले-फारसी भाषा के कवि Nizami Ganjavi.उनके काम करने के लिए Transoxiana में Timurid अवधि के दौरान फारसी कविता की महान कृतियों में से एक माना जाता था
अमीर खुसरो की पहेलियां... (दो-सुखन)
विशेष नोट : बचपन में नानी के घर पर ये पहेलियां भी हमसे पूछी जाती थीं... कुछ ही याद थीं, लेकिन अब इंटरनेट से ढूंढ़कर कई 'दो सुखन' पहेलियां डाल रहा हूं... 'सुखन' फारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ कथन या उक्ति है... अमीर खुसरो के 'दो सुखन' में दो कथनों या उक्तियों का एक ही उत्तर होता है... इसका मूल आधार एक ही शब्द के दो-दो अर्थ हैं..
दीवार टूटी क्यों...?
राहगीर लुटा क्यों...?
जोगी भगा क्यों...?
ढोलकी चुपी क्यों...?
गोश्त खाया न क्यों...?
डोम गाया न क्यों...?
मुसाफिर प्यासा क्यों...?
गधा उदासा क्यों...?
रोटी जली क्यों...?
घोड़ा अड़ा क्यों...?
पान सड़ा क्यों...?
सितार बजा न क्यों...?
औरत नहाई न क्यों...?
घर अंधियारा क्यों...?
फकीर बिगड़ा क्यों...?
अनार चखा न क्यों...?
वज़ीर रखा न क्यों...?
दही जमा न क्यों...?
नौकर रखा न क्यों...?
समोसा खाया न क्यों...?
जूता पहना न क्यों...?
पंडित नहाया न क्यों...?
धोबन पिटी क्यों...?
2. पवन चालत वेह देहे बढ़ावे
जल पीवत वेह जीव गंवावय
है वेह पियरी सुन्दर नार ,
नार नहीं पर है वेह नार उत्तर - आग .
1
और बिन वर्षा जल जाती है ;
पुरख से आवे पुरख में जाई ,
न दी किसी ने बूझ बताई . उत्तर -नदी
कवितायेँ
ख़ुसरो दरिया प्रेम का, उलटी वा की धार,
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार.
सेज वो सूनी देख के रोवुँ मैं दिन रैन,
पिया पिया मैं करत हूँ पहरों, पल भर सुख ना चैन
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
प्रेम भटी का मदवा पिलाइके
मतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ
बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजवा
अपनी सी रंग दीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
खुसरो निजाम के बल बल जाए
मोहे सुहागन कीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
राहगीर लुटा क्यों...?
जोगी भगा क्यों...?
ढोलकी चुपी क्यों...?
गोश्त खाया न क्यों...?
डोम गाया न क्यों...?
मुसाफिर प्यासा क्यों...?
गधा उदासा क्यों...?
रोटी जली क्यों...?
घोड़ा अड़ा क्यों...?
पान सड़ा क्यों...?
सितार बजा न क्यों...?
औरत नहाई न क्यों...?
घर अंधियारा क्यों...?
फकीर बिगड़ा क्यों...?
अनार चखा न क्यों...?
वज़ीर रखा न क्यों...?
दही जमा न क्यों...?
नौकर रखा न क्यों...?
समोसा खाया न क्यों...?
जूता पहना न क्यों...?
पंडित नहाया न क्यों...?
धोबन पिटी क्यों...?
2. पवन चालत वेह देहे बढ़ावे
जल पीवत वेह जीव गंवावय
है वेह पियरी सुन्दर नार ,
नार नहीं पर है वेह नार उत्तर - आग .
1
1. नर नारी कहलाती है ,
और बिन वर्षा जल जाती है ;
पुरख से आवे पुरख में जाई ,
न दी किसी ने बूझ बताई . उत्तर -नदी
कवितायेँ
ख़ुसरो दरिया प्रेम का, उलटी वा की धार,
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार.
सेज वो सूनी देख के रोवुँ मैं दिन रैन,
पिया पिया मैं करत हूँ पहरों, पल भर सुख ना चैन
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
प्रेम भटी का मदवा पिलाइके
मतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ
बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजवा
अपनी सी रंग दीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
खुसरो निजाम के बल बल जाए
मोहे सुहागन कीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
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