हृदयोद्गार........... जंगलों में सर पटकता जो मुसाफ़िर मर गया, अब उसे आवाज देता कारवाँ आया तो क्या ? ----- ’जोश’ मलीहाबादी
बहुत खूब, लाजबाब !
बहुत खूब, लाजबाब !
ReplyDelete