निमंत्रण दिया है जन-जन को
त्रिनासन है बिछाया
तृप्त जो करना है
प्रानमन को
नदी ने भी निमंत्रण सुन
समर्पित किया अपने जल को
आकाश भी आ पहुंचे
लेकर साथ पवन देव को
सूर्य और चन्द्रमा ने तो
सुसज्जित किया अपने किरण से
पवन देव ने निमंत्रण स्थल को
शीतल किया अपने बल से
मृदु भाव से पशु-पक्षी ने
अपना स्थान ग्रहण किया
ये मनोरम दृश्य देख
तीनो लोक अभीभूत हुआ
ये मनोरम दृश्य देख
तीनो लोक अभीभूत हुआ
प्रकृति यही तो हमें सिखलाती है !!
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति....
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