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Monday, August 9, 2010

जो आनंद है ............


जो आनंद है फूल गंध में 
जो आनंद है पंछी धुन में 
जो आनंद है अरुण आलोक में 
जो आनंद है शिशु के प्राण में 
जिस आनंद से वातास बहे 
जिस आनंद में सागर बहे 
जो आनंद है धूल कण में 
जो आनंद है तृण दल में 
जिस आनंद से आकाश है भरा 
जिस आनंद से भरा है तारा 
जो आनंद है सभी सुख में 
जो आनंद है बहते रक्त-कण में 
वो आनंद मधुर होकर 
तुम्हारे प्राणों पर  पड़े झरकर 
वो आनंद प्रकाश की तरह 
रह जाए तुम्हारे जीवन में भरकर 


कवि श्री सुकुमार राय के कविता से अनुदित 

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