करिष्यति स एवास्मदैहिकं पारलौकिकम (1)
अन्याश्रयो न कर्त्तव्य: सर्वथा बाधकस्तु स:
स्वकीये स्वात्मभावश्च कर्त्तव्य: सर्वथा सदा (2)
सबके आत्मा रूप से व्याप्त भगवान श्री कृष्ण का ही सदैव भजन करना चाहिए , वो ही हमलोगों के लौकिक पारलौकिक लाभ सिद्ध करंगे (1) दूसरे का आश्रय नही लेना चाहिए क्योंकि वह सर्वदा बाधक होता है;सदा स्वावलंबी होकर आत्मभाव का पालन करना चाहिए (2)
आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteकृष्ण प्रेम मयी राधा
ReplyDeleteराधा प्रेममयो हरी
♫ फ़लक पे झूम रही साँवली घटायें हैं
रंग मेरे गोविन्द का चुरा लाई हैं
रश्मियाँ श्याम के कुण्डल से जब निकलती हैं
गोया आकाश मे बिजलियाँ चमकती हैं
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
आपको और आपके परिवार को कृष्ण-जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
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