हृदयोद्गार........... जंगलों में सर पटकता जो मुसाफ़िर मर गया, अब उसे आवाज देता कारवाँ आया तो क्या ? ----- ’जोश’ मलीहाबादी
pyari kavita ...........padh kar achchha laga
अति सुन्दर मन भावन रचना है आपकी हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।मालीगांव साया
खिली चांदनी रात मेंसुबह का रहता था इंतज़ारbahut sunder!
pyari kavita ...........
ReplyDeletepadh kar achchha laga
अति सुन्दर मन भावन रचना है आपकी
ReplyDeleteहमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
मालीगांव
साया
खिली चांदनी रात में
ReplyDeleteसुबह का रहता था इंतज़ार
bahut sunder!