हृदयोद्गार........... जंगलों में सर पटकता जो मुसाफ़िर मर गया, अब उसे आवाज देता कारवाँ आया तो क्या ? ----- ’जोश’ मलीहाबादी
The initial four line are excellent, try to re-write it, after 4 lines harmony breaks somewhere.:)
बरसो की चाहत है बादल में ढल जाऊं प्रकृति के साये में रचना मुखरित है सुन्दर ..
बहोत ही अच्छी रचना......
खूबसूरत नज़्म
बहुत सुन्दर भाव्।
A beautiful desire !
The initial four line are excellent, try to re-write it, after 4 lines harmony breaks somewhere.:)
ReplyDeleteबरसो की चाहत है
ReplyDeleteबादल में ढल जाऊं
प्रकृति के साये में रचना मुखरित है सुन्दर ..
बहोत ही अच्छी रचना......
ReplyDeleteखूबसूरत नज़्म
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव्।
ReplyDeleteA beautiful desire !
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