आँखों से झांकते हुए तुम दिल में उतर गए हया का पर्दा है जो तुम्हे मुझसे है अलग करता (2) तुम्हे पाने की आरज़ू ने मुझे दीवाना बना दिया तुम्हारे प्यार को पाना मैंने मकसद बना लिया तुम्हे न पाने से जो सूरत-ए-हाल होगा सनम ये सोचना भी दिल गवारा नही करता |
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Tuesday, May 10, 2011
आँखों से झांकते........
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nazm
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वाह ..बहुत खूब
ReplyDeleteबढ़िया है !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लिखा है अपने इस मैं कमी निकलना मेरे बस की बात नहीं है क्यों की मैं तो खुद १ नया ब्लोगर हु
ReplyDeleteबहुत दिनों से मैं ब्लॉग पे आया हु और फिर इसका मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा क्यों की जब मैं खुद किसी के ब्लॉग पे नहीं गया तो दुसरे बंधू क्यों आयें गे इस के लिए मैं आप सब भाइयो और बहनों से माफ़ी मागता हु मेरे नहीं आने की भी १ वजह ये रही थी की ३१ मार्च के कुछ काम में में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाया
पर मैने अपने ब्लॉग पे बहुत सायरी पोस्ट पे पहले ही कर दी थी लेकिन आप भाइयो का सहयोग नहीं मिल पाने की वजह से मैं थोरा दुखी जरुर हुआ हु
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
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