1- देखो काली घटा है घिर आया नाव किनारे को है चल पडा बादल है गरजा तूफ़ान भी लरजा मेरे साजन तुम हो कहाँ ? 2- सन-सन बहे ये पागाल पवन बिजली से आलोकित है गगन क्या करूँ घर में मैं सजन जिया धडके कभी रुके धड़कन घन बरसे सैलाब है बहे मेरे साजन तुम हो कहाँ ? 3- तूफ़ान उत्ताल नाव भी डोले ये घरबार तूफ़ान ले उड़े अब की बार न जाने दूं सजन है मेरा-तुम्हारा अटूट बंधन 4- घनघोर अँधेरा द्वार है खुला ऐसे में सजन तुम आखिर हो कहाँ ? |
Followers
Sunday, April 17, 2011
साजन तुम हो कहाँ ?
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
comments in hindi
web-stat
licenses
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative Works 2.5 India License.
अच्छा लिखा है आपने। भाषा में भी सहज प्रवाह है।
ReplyDeleteमैने भी अपने ब्लाग पर एक लेख- कब तक धोखे और अत्याचार का शिकार होंगी महिलाएं- लिखा है। समय हो तो पढ़ें और टिप्पणी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
तुम्हारा मेरा अटूट बंधन ...
ReplyDeleteमगर तुम हो कहाँ !!
सुन्दर !
बहुत सुंदर ........
ReplyDeleteब्लॉगजगत में पहली बार एक ऐसा "साझा मंच" जो हिन्दुओ को निष्ठापूर्वक अपने धर्म को पालन करने की प्रेरणा देता है. बाबर और लादेन के समर्थक मुसलमानों का बहिष्कार करता है, धर्मनिरपेक्ष {कायर } हिन्दुओ के अन्दर मर चुके हिंदुत्व को आवाज़ देकर जगाना चाहता है. जो भगवान राम का आदर्श मानता है तो श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र भी उठा सकता है.
ReplyDeleteइस ब्लॉग के लेखक बनने के लिए. हमें इ-मेल करें.
हमारा पता है.... hindukiawaz@gmail.com
समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
देशभक्त हिन्दू ब्लोगरो का पहला साझा मंच - हल्ला बोल