दख़ल की दुनिया: एक दिन चींटियां ढूढ़ लाएंगी दुनिया के सबसे विलक्षण रहस्य को
हलंत: डायरी से एक बेतरतीब नोट: "डायरी से एक बेतरतीब नोट"
कदम क्यों रुक | कविता: "कदम क्यों रुक"
दिल की कलम से तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है कैसी बेवक़्त आफ़त हुई है चाँद है गुमशुदा रात है ग़मज़दा किस से पूंछू पता तेरी खुशबूयों का ये हवा भी तो रुख़सत हुई है तुमसे मिल...
तू कौन है - मेरे साथ था तू कब से, मै था या ना था जब से, पृथ्वी,जल और नभ से, मै पूँछता था सब से, तू कौन है,तू कौन है? तुम्ही तो थे बस साथ जब, कोई न था मेरे पास जब, भूला ...
अमृत पीकर भी है मानव मरा हुआ............ - अमृत पीकर भी है मानव मरा हुआ बरसातों में ठूंठ कहीं है हरा हुआ करके गंगा-स्नान धो लिए सारे पाप सोच रहे फिर सौदा कितना खरा हुआ सीमा से ज्यादा जब बढ़ जाती है ...
मेरी तन्हाई - मुझसे तन्हाई मेरी ये पूछती है, बेवफ़ाओं से तेरी क्यूं दोस्ती है। चल पड़ा हूं मुहब्बत के सफ़र में, पैरों पर छाले रगों में बेख़ुदी है। पानी के व्यापार में ...
- मंज़िल निकल पड़े थे राह पर अकेले, चला किए हम शाम सवेरे ! मंज़िल पर पहुँचने से पहले, राह में ही हम अटक गए ! मंज़िल दूर तक नज़र नहीं आए, लगा जैसे हम रास्ता भ...
गुरूदेव की "नौका डूबी" को "कशमकश" में तब्दील करके लाए हैं संजॉय-राजा..शब्दों का साथ दिया है गुलज़ार ने -Taaza Sur Taal (TST) - 15/2011 - KASHMAKASH (NAUKA DOOBI) कभी-कभार कुछ ऐसी फिल्में बन जाती हैं, कुछ ऐसे गीत तैयार हो जाते हैं, जिनके बारे में आप लिखना तो ...
DAY 1137 - Jalsa , Mumbai May 30 , 2011 Mon 10 : 21 PM Okaaaayyyyy !! these are the
हलंत: डायरी से एक बेतरतीब नोट: "डायरी से एक बेतरतीब नोट"
कदम क्यों रुक | कविता: "कदम क्यों रुक"
दिल की कलम से तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है कैसी बेवक़्त आफ़त हुई है चाँद है गुमशुदा रात है ग़मज़दा किस से पूंछू पता तेरी खुशबूयों का ये हवा भी तो रुख़सत हुई है तुमसे मिल...
तू कौन है - मेरे साथ था तू कब से, मै था या ना था जब से, पृथ्वी,जल और नभ से, मै पूँछता था सब से, तू कौन है,तू कौन है? तुम्ही तो थे बस साथ जब, कोई न था मेरे पास जब, भूला ...
अमृत पीकर भी है मानव मरा हुआ............ - अमृत पीकर भी है मानव मरा हुआ बरसातों में ठूंठ कहीं है हरा हुआ करके गंगा-स्नान धो लिए सारे पाप सोच रहे फिर सौदा कितना खरा हुआ सीमा से ज्यादा जब बढ़ जाती है ...
मेरी तन्हाई - मुझसे तन्हाई मेरी ये पूछती है, बेवफ़ाओं से तेरी क्यूं दोस्ती है। चल पड़ा हूं मुहब्बत के सफ़र में, पैरों पर छाले रगों में बेख़ुदी है। पानी के व्यापार में ...
- मंज़िल निकल पड़े थे राह पर अकेले, चला किए हम शाम सवेरे ! मंज़िल पर पहुँचने से पहले, राह में ही हम अटक गए ! मंज़िल दूर तक नज़र नहीं आए, लगा जैसे हम रास्ता भ...
गुरूदेव की "नौका डूबी" को "कशमकश" में तब्दील करके लाए हैं संजॉय-राजा..शब्दों का साथ दिया है गुलज़ार ने -Taaza Sur Taal (TST) - 15/2011 - KASHMAKASH (NAUKA DOOBI) कभी-कभार कुछ ऐसी फिल्में बन जाती हैं, कुछ ऐसे गीत तैयार हो जाते हैं, जिनके बारे में आप लिखना तो ...
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