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Tuesday, June 7, 2011

धुन

 


सुनकर  तेरीबंसी की धुन 
मत्त हुआ ये बावरा मन 
आज प्रभात की बेला में 
तेरा ये मधुर सुर सुन 
खोल कर रख दिया ये मन 
ये अंतर्मन तुझे समर्पण 
प्रकाश पुंज से उद्वेलित समीरन
तेरे सुर की लीला है नवीन 
बजे शरद की आकाशवीणा 
माला बना लूं पिरोकर वो धुन 
तुझे समर्पित है जीवन मम 
प्रकाश तेरा है निरुपम 
भोर की पक्षी भी करे गुंजन 
तुम्हारी धुन को मेरा वंदन 

2 comments:

  1. हमे भी प्यारि लगु सुबह कि मधुर धुन। शुभकामनायें।

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