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Friday, August 12, 2011

क्या ये त्यौहार केवल हिन्दू भाई बहन के लिए ही है?

मुझे आज सभी हिन्दू भाई बहनों को रक्षाबंधन की बधाई देते हुए कई मेल मिले   |तहेदिल से सबको शुक्रिया कहती हूँ | आप सबको भी बहनों की तरफ से धन्यवाद | मुझे एक सवाल पूछना है क्या ये त्यौहार केवल हिन्दू भाई बहन के लिए ही है |केवल भाई-बहन का त्यौहार कहने में क्या हर्ज़ है?क्या हम फादर्स डे ,मदर्स डे,वलेन्ताइन्स  डे इत्यादि मनाते समय किसी एक समुदाय को ही बधाई देते है ?नहीं न.....|भाई बहन के पवित्र रिश्तों में कहीं धर्म आड़े नहीं आना चाहिए |इसलिए मेरे सभी भाई-बहनों को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं |कृपया इस पोस्ट को कोई अन्यथा न लें |

11 comments:

  1. बहन जी ! आपको राखी के पर्व की शुभ कामनाएं .
    राखी का त्यौहार एक अच्छा त्यौहार है . अगर हिदू धर्म से कोई अच्छी चीज़ जोड़ी जा रही है तो इसमें क्या हरज है ?
    हिन्दू ज्योतिषी ही इसका मुहूर्त निकालते हैं और हिन्दू देवी देवताओं की पूजा के बाद ही इसकी रस्में अदा की जाती हैं . ऐसे में इसे हिन्दू धर्म से कोई और नहीं जोड़ता बल्कि खुद हिन्दू ही जोड़ देते हैं .

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  2. रक्षा बंधन का त्योहार तो पूरी इंसानियत के लिए है। यह केवल भाई-बहिन के बीच का ही नहीं है उन सभी रिश्तों के लिए है जिन में लोग परस्पर एक दूसरे पर रक्षा के लिए भरोसा करते हैं। मेरे दादा जी अपने सारे यजमानों को रक्षा सूत्र बांधने जाया करते थे।
    हाँ इस त्यौहार को हर धर्म वाला अपने तरीके से मना सकता है। हिन्दू हिन्दू रीति से, मुसलमान मुस्लिम रीति से, ईसाई अपनी रीति से औऱ हम जैसे नास्तिक अपनी रीति से। हिन्दुओं में बहुत सी परंपराएँ और रीतियाँ ऐसी हैं जिन का धर्म से कोई संबंध नहीं है। लेकिन उन्हें जबरन धार्मिक बना दिया गया है। डाक्टर अयाज़ अहमद साहब ने बिलकुल फरमाया है कि इस त्योहार को हिन्दुओं ने ही अपने तक सीमित कर दिया है। इस त्यौहार को इंसानी रिश्तों के त्यौहार में तब्दील किया जा सकता है यदि डाक्टर अय्याज जैसे लोग इसे अपनी रीति से मनाने लगें।

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  3. भाई-बहन के प्रेम को इतना संकीर्ण किसने बना दिया?

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  4. आपको राखी के पर्व की शुभ कामनाएं ....!

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  5. दिनेशराय द्विवेदी ji ka kathan bilkul satya hai...
    apko rakhee kee shubhkamna..

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  6. आपको हार्दिक शुभकामनायें !

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  7. डा. अयाज़ साहब का कहना सही है कि असल में ये त्यौहार सारी दुनिया में हिंदुओं के त्यौहार के रूप में ही जाना जाता है जैसे कि क़ुर्बानी मुस्लिम त्यौहार के रूप में । रक्षा वही कर सकता है जो ख़ून देखकर बेहोश न हो जाता हो । जो बहन की और अपने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दे भी सकता हो और हमलावर की जान ले भी सकता हो ।

    वकील साहब से भी हम सहमत हैं कि इन त्यौहारों को मिलकर सब मनाएं ।

    ताकि कोई यह न पूछे कि
    क्या क़ुर्बानी केवल मुसलमानों का त्यौहार है ?

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  8. सही बात मानने में क्या हर्ज ?
    राखी के पर्व की शुभ कामनाएं ....!

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  9. During the medieval period, we come across a new dimension of Raksha Bandhan, when the Mughal emperor Humayun received Rakhi from Rani Karnavati of Chittor. In 16th century the sultan of Gujarat attacked the kingdom of Chittor. To save her kingdom from the invader, Rani Karnavati sought help from the Mughal emperor Humayun and sent the sacred thread (Rakhi) for him. Humayun is said to been touched by the bond and marched to protect the kingdom of Chittor. Though Humayun marched towards chittor to help the distressed Rani but he could not reach at the right time and the Rani, along with other Rajput ladies committed Jauhar to save their honor.


    रक्षा बंधन की शुभकामनायें

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  10. गुरुवर दिनेशराय द्विवेदी जी और DR. ANWER JAMAL जी द्वारा व्यक्त विचारों से पूर्णत: सहमत हूँ.
    आखिर क्यों कोई त्यौहार धर्मों में बांटकर बनाये जा रहे हैं? हम सभी भारतवासी हर त्यौहार को देश का त्यौहार मानकर क्यों नहीं मना सकते हैं? इसके लिए हमें अपनी मानसिकता बदलनी होगी.

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  11. देश विभाजन से पहले बहुत से हिंदू मुस्लिम सिक्ख परिवार न केवल रक्षाबंधन बल्कि ईद दीवाली आदि त्यौहार मिल जुलकर मनाते थे और रही बात संकीर्णता की तो वो तो संकीर्ण होकर भी पसरती जा रही है हम भाग्यशाली हैं कि अपने परिवार में आज हम त्यौहार मना तो पाते हैं आगे आने वाली पीढियां तो पता नहीं इनका लुत्फ़ उठा भी पाएगी या नहीं ...हुमायूं और कर्णवती का उदाहरण तो संगीता दी ने दिया ही है

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