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Tuesday, June 15, 2010

आपका इंतज़ार है.

सच बोलो तो संकट में फंसता है प्राण
पर झूट के तो नहीं होते है पाँव

गुंडागर्दी , चोरी , लूटपाट
त्रस्त है देश इन सबसे आज

कहाँ है वो जो सुधारेंगे देश को
ऐसा ही कुछ लिया था प्रण बढ़ाकर आवेश को

पर ऐसा कुछ हमें द्रष्टव्य न हुआ
देश तो और भी पतन की ओर गया

आतंकी,अतिवादियों ने देश कब्जाया
देश का ठेकेदार मूंह ताकता रह गया

नियति हमारी क्या इतनी ही  खराब है ?
कब लेंगे अवतार कल्कि जी बस आपका इंतज़ार है

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