हृदयोद्गार........... जंगलों में सर पटकता जो मुसाफ़िर मर गया, अब उसे आवाज देता कारवाँ आया तो क्या ? ----- ’जोश’ मलीहाबादी
N fish shouts CONGRESS ZINDABAD
वाकई मंहगाई बहुत बढ गई है।
Hum insaano ke liye to mahngaai ek bura sapna hai.
मछली तो जी गयीजीवन तो अनूठा है इसके अंदाज निराले हैं इसका कुछ भरोसा नहीं किस तरह से किस चीज को संभालता है
आम आदमी की तो आवाज ही नहीं निकल रही, जिंदाबाद क्या बोलेगा। आप चार में से किस ब्लॉग पर नियमित लिखती हैं। अगर पता रहे तो आसानी हो आपके विचार पढ़ने में। हर पर नियमित रहना आसान नहीं। फिर भी कोशिश तो की जा सकती है।
वाकई मंहगाई बहुत बढ गई है।
ReplyDeleteHum insaano ke liye to mahngaai ek bura sapna hai.
ReplyDeleteमछली तो जी गयी
ReplyDeleteजीवन तो अनूठा है इसके अंदाज निराले हैं
इसका कुछ भरोसा नहीं किस तरह से किस चीज को संभालता है
आम आदमी की तो आवाज ही नहीं निकल रही, जिंदाबाद क्या बोलेगा। आप चार में से किस ब्लॉग पर नियमित लिखती हैं। अगर पता रहे तो आसानी हो आपके विचार पढ़ने में। हर पर नियमित रहना आसान नहीं। फिर भी कोशिश तो की जा सकती है।
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