अधर सुन्दर
वदन सुन्दर
नयन सुन्दर
हँसी सुन्दर
ह्रदय सुन्दर
गमन सुन्दर
कवि की नायिका तू
अति सुन्दर
————————
वचन सुन्दर
चरिता सुन्दर
वसन सुन्दर
करवट सुन्दर
चलना सुन्दर
भ्रमण सुन्दर
कवि की नायिका तू
अति सुन्दर
————————-
नृत्य सुन्दर
गीत सुन्दर
भोजन सुन्दर
शयन सुन्दर
रूप सुन्दर
तिलक सुन्दर
कवि की नायिका तू
अति सुन्दर
—————————
गुंजन सुन्दर
माला सुन्दर
पुष्प सुन्दर
कंटक सुन्दर
अंजलि सुन्दर
ये पग सुन्दर
कवि की नायिका तू
अति सुन्दर
—————————
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Tuesday, August 31, 2010
प्रकृति का खेल
(१)
ये रोशनी
भी न जाने क्या-क्या
गुल खिलाती है
कभी सूरज
की किरण और कभी
चन्दा की चांदनी
कहलाती है (२)
सूरज की तो क्या कहे हम
आता है उषा के साथ
जाता है संध्या के साथ
सोता है निशा के साथ
उठता है किरण के साथ
रहता है रौशनी के साथ
और छुपता है
वर्षा के साथ ~ ~ ~
जाता है संध्या के साथ
सोता है निशा के साथ
उठता है किरण के साथ
रहता है रौशनी के साथ
और छुपता है
वर्षा के साथ ~ ~ ~
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Sunday, August 29, 2010
'ध्रुवतारा'
तारा टूटा है दिल तो नही
चहरे पर छाई ये उदासी क्यों
इनकी तो है बरात अपनी
तुम पर छाई ये विरानी क्यों
न चमक अपनी इन तारों की
न रोशनी की राह दिखा सके
दूर टिमटिमाती इन तारों से
तुम अपना मन बहलाती क्यों
कहते है ये टूटते तारे
मुराद पूरी करता जाय
पर नामुराद मन को तेरी
टूटते हुए छलता जाए क्यों
मत देखो इन नक्षत्रों को
इसने सबको है भरमाया
गर देखना ही है देखो उसे
जो अटल अडिग वो है 'ध्रुवतारा'
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ब्लॉग जोड़ना
मैं अपने ब्लॉग को रफ़्तार से जोड़ने की कोशिश कर रही हूँ पर अभी तक जुड़ा नही कोई सलाह दे
ब्लॉग जोड़ना
ब्लॉग जोड़ना
Wednesday, August 25, 2010
मेरी गली से
मेरी गली से जब भी गुजरीं वो
खुशबू का सैलाब सा बह गया
रूह तक पहुंची वो खुशबू-ए-उल्फत
मुहब्बत का तकाजा बढ़ गया
दिल के दामन में आकर
धूम मचाकर रख दिया
सपनो में भी चैन न आया
वो आयी और मै दीवाना हो गया
इश्क जब सर पर चढ़ा
बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुई
अब तो ये हाल है जानम
मालूम नहीं कब दिन हुआ कब रात हुई
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Tuesday, August 24, 2010
जी लेने दो
कतरा-कतरा ज़िंदगी का
पी लेने दो
बूँद बूँद प्यार में
जी लेने दो
पी लेने दो
बूँद बूँद प्यार में
जी लेने दो
हल्का-हल्का नशा है
डूब जाने दो
रफ्ता-रफ्ता “मैं” में
राम जाने दो
डूब जाने दो
रफ्ता-रफ्ता “मैं” में
राम जाने दो
जलती हुई आग को
बुझ जाने दो
आंसूओं के सैलाब को
बह जाने दो
बुझ जाने दो
आंसूओं के सैलाब को
बह जाने दो
टूटे हुए सपने को
सिल लेने दो
रंज-ओ-गम के इस जहां में
बस लेने दो
सिल लेने दो
रंज-ओ-गम के इस जहां में
बस लेने दो
मकाँ बन न पाया फकीरी
कर लेने दो
इस जहां को ही अपना
कह लेने दो
कर लेने दो
इस जहां को ही अपना
कह लेने दो
तजुर्बा-इ-इश्क है खराब
समझ लेने दो
अपनी तो ज़िंदगी बस यूं ही
जी लेने दो
समझ लेने दो
अपनी तो ज़िंदगी बस यूं ही
जी लेने दो
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Monday, August 23, 2010
लेख समर्पित कर नही पा रही हूँ
ये indli.com को क्या हो गया ? लेख समर्पित कर नही पा रही हूँ .समस्या निवारण करे
Sunday, August 22, 2010
कश्ती दरिया में
कश्ती दरिया में इतराए ये समझकर
दरिया तो अपनी है इठलाऊं इधर-उधर
किनारा तो है ही अपना ,ठहरने के लिए
दम ले लूंगा मै भटकूँ राह गर
पर उसे मालूम नही ये कमबख्त दरिया तो
किनारों को डुबो देता है सैलाब में
कश्ती को ये बात कौन बताये जालिम
नादरिया अपनी न किनारा अपना
दरिया तो अपनी है इठलाऊं इधर-उधर
किनारा तो है ही अपना ,ठहरने के लिए
दम ले लूंगा मै भटकूँ राह गर
पर उसे मालूम नही ये कमबख्त दरिया तो
किनारों को डुबो देता है सैलाब में
कश्ती को ये बात कौन बताये जालिम
नादरिया अपनी न किनारा अपना
e sakhi radhike1.m... |
Saturday, August 21, 2010
नज़्म
(1)
चाँद खिला पर रौशनी नही आयी
रात बीती पर दिन न चढ़ा
अर्श से फर्श तक के सफ़र में
कमबख्त रौशनी तबाह हो गया
(2)
दिल की हालत कुछ यूं बयान हुई
कुछ इधर गिरा कुछ उधर गिरा
राह-ए-उल्फत का ये नजराना है जालिम
न वो तुझे मिला न वो मुझे मिला
चाँद खिला पर रौशनी नही आयी
रात बीती पर दिन न चढ़ा
अर्श से फर्श तक के सफ़र में
कमबख्त रौशनी तबाह हो गया
(2)
दिल की हालत कुछ यूं बयान हुई
कुछ इधर गिरा कुछ उधर गिरा
राह-ए-उल्फत का ये नजराना है जालिम
न वो तुझे मिला न वो मुझे मिला
Friday, August 20, 2010
ब्लोगवाणी ब्लोगवाणी.............
पता नही ब्लोगवाणी फिर से अपना रूप ले पाया या नही . पर उसकी कमी अभी भी खलती है .हम तो अभी भी आस लगाए बैठे है की कब वो वापस आये . मेरे मूंह से तो यही शब्द निकलते है
ब्लोगवाणी ब्लोगवाणी
तू तो थी ब्लोग्गेर्स की रानी
तेरे बिन ये जग है सूना
कहा गयी वो तेरी रवानी
आये गए कितने ही वाणी
तू सबसे ऊपर है जानी
टिप्पणि का सुख तुमने दिए जो
वो दम नहीं किसी में जानी
धरो न नाक पर इतना गुस्सा
तुम्हे वापस लेने की हमने है ठानी
ब्लोगवाणी ब्लोगवाणी
तू तो थी ब्लोग्गेर्स की रानी
तेरे बिन ये जग है सूना
कहा गयी वो तेरी रवानी
आये गए कितने ही वाणी
तू सबसे ऊपर है जानी
टिप्पणि का सुख तुमने दिए जो
वो दम नहीं किसी में जानी
धरो न नाक पर इतना गुस्सा
तुम्हे वापस लेने की हमने है ठानी
Wednesday, August 18, 2010
बधाई ...............बधाई ........बधाई .......
Monday, August 16, 2010
नहीं ....ये तो स्थिर
नहीं ....ये तो स्थिर चित्र है .आपकी नज़र आपको धखा दे रही है
Sunday, August 15, 2010
Friday, August 13, 2010
Monday, August 9, 2010
जो आनंद है ............
जो आनंद है फूल गंध में
जो आनंद है पंछी धुन में
जो आनंद है अरुण आलोक में
जो आनंद है शिशु के प्राण में
जिस आनंद से वातास बहे
जिस आनंद में सागर बहे
जो आनंद है धूल कण में
जो आनंद है तृण दल में
जिस आनंद से आकाश है भरा
जिस आनंद से भरा है तारा
जो आनंद है सभी सुख में
जो आनंद है बहते रक्त-कण में
वो आनंद मधुर होकर
तुम्हारे प्राणों पर पड़े झरकर
वो आनंद प्रकाश की तरह
रह जाए तुम्हारे जीवन में भरकर
कवि श्री सुकुमार राय के कविता से अनुदित
कुछ उपयोगी मंत्र
1.ॐ स्थविष्ठाय नमः to keep evil forces at bay
2. ॐ पुष्कराक्षाय नमः for overcoming bad times
3. ॐ भूतादये नमः chant this name to amend soured friendship or any personal relationship
4. ॐ धात्रे नमः for issue less couple
5.ॐ विधात्रे नमः pregnant ladies to chant for healthy babies
6. ॐ नारसिंह वपुषे नमः in moments of distress and despair
7.ॐ क्षेत्रज्ञाय नमः for aspirants of plots and own residence
8.ॐ ऋषिकेशाय नमः for overcoming bad habits
9.ॐ वषटकराय नमः for sucess in business , interviews,visa interviews,building relationship
10. ॐ श्रीमते नमः please chant for handsome appearance and wealth.
11.ॐ अक्षराय नमः for education and better financial strenrh
12.ॐ परमात्मने नमः for self employed people ,for promotioms and success im games
13.ॐ भूतभावनाये नमः for better health
14. ॐ पूतात्मने नमः to remove mental stress and for mental peace
15.ॐ शर्मणे नमः for job satisfaction
16.कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहू सहस्रावान .
तस्य स्मरणमात्रेण गतं नष्टं च लभ्यते
please chant this slok to locate lost objects,persons and belongings
17. कामेश्वराय कामाय कामपालाय कामिने .
नमः कामविहाराय कामरूपधराय च
maarraigs get finalised by chanting this slok.Also this sloka bestows intimacy,mutual affwction and trust between couples.
Saturday, August 7, 2010
फिल्म इश्किया में गुलज़ार जी का
फिल्म इश्किया में गुलज़ार जी का लिखा हुआ गाना जिसे रेखा भारद्ववाज जी ने गाया है को मैंने अपनी आवाज़ में गाने
की कोशिश की है गुस्ताखी माफ़ पर सुन लीजिये
की कोशिश की है गुस्ताखी माफ़ पर सुन लीजिये
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Friday, August 6, 2010
विरह
दुःख तुमने जो दिए
सहा न जाए
सुख मुझसे दूर भागे
रहा न जाए
वंचित हूँ तुम्हारे प्यार से
क्यों समझ ना आये
कटी हूँ मैं जीवन से कैसे
कहा ना जाए
तुम्हारा वो संगसुख
भुलाया ना जाए
वो मृदु स्पर्श प्रेम वचन
क्यों याद आये
वो आलिंगन वो दुःख-सुख में
साथ का किया था वादा
कैसे मै विस्मरण करूँ उन पलों को
वो स्मरण रहेंगे सदा
तुमने अपने दायित्व से
क्यों मूंह फेर लिया
कोई गुप्त कारण है या यूं ही
मुझे रुसवा किया
क्यों ऐसा लगे की तुम
अवश्य लौटोगे
मेरे साथ किया गया वादा
तुम अवश्य निभाओगे
ये जो लोग कहे की जानेवाला
वापस न आये कभी
मै जानूं तुम कोई गया वक्त नही हो
जो लौट न पाओगे
ज़रा इधर भी .....
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KAVITA
Thursday, August 5, 2010
काली घटा
ये काली घटा ने देखो
क्या रंग दिखाया
नाच उठा मन मेरा
हृदय ने गीत गाया
सूखी नदियाँ प्लावित हुई
जीवन लहलहाया
दादुर,कोयल,तोता,मैना ने
गीत गुनगुनाया
तप्त धरती शीतल हुई
बूंदे टपटपाया
धरती ने आसमान को छोड़
बादल को गले लगाया
रवि ज्योति मंद पड़ा
मेघ गड़गड़ाया
नृत्य मयूर का देख
ये मन मुस्कराया
अब इसे भी बर्दाश्त कर लीजिये
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Tuesday, August 3, 2010
नियति
न सरकार से डर
न सरकार को डर
न पुलिस से डर
न पुलिस को डर
गर हो आम जनता
तो भटको दर-ब-दर
ये गिरता प्रशासन स्तर
और ये जीवन तीतर बीतर
न सरकार को डर
न पुलिस से डर
न पुलिस को डर
गर हो आम जनता
तो भटको दर-ब-दर
ये गिरता प्रशासन स्तर
और ये जीवन तीतर बीतर
Monday, August 2, 2010
मुर्किया
बैठे बैठे अचानक मुझे आमिर खुसरो के दो पहेलियाँ याद आ गयी जो कभी स्कूल में पढ़ा था पर उतार तो आपको ही देना है सोच कर जवाब दीजिएगा
अट्टी तोड़ कर घर में आया
अरतन-बरतन सब सरकाया
खा गया पी गया दे गया बुत्ता
क्यों सखी साजन ? ना सखी ..........(उत्तर)
अचरज बँगला एक बनाया
ऊपर नीव तले घर छाया
बांस ना बल्ली बंधन घने
कहो खुसरो घर कैसे बने ?............(उत्तर)
अट्टी तोड़ कर घर में आया
अरतन-बरतन सब सरकाया
खा गया पी गया दे गया बुत्ता
क्यों सखी साजन ? ना सखी ..........(उत्तर)
अचरज बँगला एक बनाया
ऊपर नीव तले घर छाया
बांस ना बल्ली बंधन घने
कहो खुसरो घर कैसे बने ?............(उत्तर)
मैंने अपने ब्लॉग को hamarivani.com से जोड़ने के लिए
मैंने अपने ब्लॉग को hamarivani.com से जोड़ने के लिए बहुत सारी कोशिशे की पर ठीक से जुड़ नही पा रहा क्या करू कोई मुझे बताये . समस्या ये है की मेरा खाता तो बन गया पर पोस्ट नही दिख रहा है कोई समस्या निवारण करे
Sunday, August 1, 2010
झलकियाँ
बंगाली शादियों में कलात्मकता प्रत्येक कार्य में झलकता है जैसे नीचे देखिये किस खूबसूरती से सारी से नाव बनाया गया है
और ये चप्पल अरे ! अरे ! इसे चप्पल मत कहिये ये तो अमावट है जब मनचाहे इसे खा सकते हैक्यों कैसी रही ?
अब मेरी आवाज़ भी सुन लीजिये
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