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Wednesday, September 22, 2010

मन बंजारा

मेरे इस रेगिस्तान मन में
 बूँद प्यार का गर टपक जाए
  रेत गीली हो जाय
   दिल का दामन भर जाय

    जन्मों से प्यासे इस मन को
     प्यार का जो सौगात मिला
      मन पंछी बन उड़ जाए
       रहे न जीवन से गिला

        जाने क्यों मन भटका जाय
         ढूंढे किसे ये मन बंजारा
          है आवारा बादल की तलाश
           पाकर मन कहे 'मै हारा'

             इतना प्यार उड़ेलूँ उसका ..
              आवारापन संभल जाए
               वो बूँद बन जाए बादल का
                और इस सूखे मन में टपक जाए

पानी पानी

आयोजकों के खेल ने खेल बिगाड़ा है

दिल्ली बारिश से नहीं शर्म से पानी पानी है
किसी ने सच कहा है
साफ़ पानी के नीचे देखो तो
कचरा दिखता है 

Tuesday, September 14, 2010

आज हिंदी दिवस है . सभी हिंदी चिट्ठाकारों को मेरी ओर से हार्दिक बधाइयां.........

आज हिंदी दिवस है . सभी हिंदी चिट्ठाकारों को मेरी ओर से हार्दिक बधाइयां .इस अवसर पर प्रस्तुत है एक कविता
निजु भाषा उन्नति अह़े सब उन्नति के मूल
बिनु निजु भाषा ज्ञान के मिटे न हिय के शूल
                       --- "भारतेंदु हरिश्चंद "----

अब प्रस्तुत है मेरी लिखी एक कविता :

तेरी अधरों की मुस्कान
देखने को हम तरस गए
घटाए भी उमड़-घुमड़ कर
यहाँ वहाँ बरस गए

पर तेरी वो मुस्कान
जो होंठों पर कभी कायम था
पता नहीं क्यों किस जहां में
जाकर सिमट गए

तेरी दिल की पुकार
सुनना ही मेरी चाहत है
प्यार की कशिश को पहचानो
ये दिल तुझसे आहत है

मुस्कुराना गुनाह तो नहीं
ज़रिया है जाहिर करने का
होंठो से न सही इन आँखों से
बता दो जो दिल की छटपटाहट है

Friday, September 10, 2010

मेरी चाहत

Water Illusion Wallpaper
पेड़ के पीछे से
झरनों के नीचे से
नदियों के किनारे से
बागियों के दामन से
पहाड़ों की ऊँचाई से
नाम तेरा पुकारूं

पेड़ो से टकराकर
झरनों से लिपटकर
नदियों से बलखाकर
बागियों को महकाकर
पहाडो की वादियों से
नाम तेरा गूंजे
तुझे कई बार सुनाई दे

Friday, September 3, 2010

रात का सूनापन

3D Snowy Cottage animated wallpaper

रात का सूनापन

मेरी जिन्दगी को सताए

दिन का उजाला भी

मेरे मन को भरमाये

क्यों इस जिन्दगी में

सूनापन पसर गया

खिलखिलाती ये जिन्दगी

गम में बदल गया

आना मेरी जिन्दगी में तेरा

एक नया सुबह था

वो रात भी नयी थी

वो वक्त खुशगवार था

वो हाथ पकड़ कर चलना

खिली चांदनी रात में

सुबह का रहता था इंतज़ार

मिलने की आस में

पर जाने वो हसीं पल

मुझसे क्यों छिन गया

जो थे इतने पास-पास

वो अजनबी सा बन गया

मेरे अनुरागी मन को

बैरागी बना दिया

रोग प्रेम का है ही ऐसा

कभी दिल बहल गया

कभी दिल दहल गया

Thursday, September 2, 2010

जन्माष्टमी की शुभकामनाये ................

सदा सर्वात्मभावेन भजनीयो व्रजेश्वर:
करिष्यति स एवास्मदैहिकं पारलौकिकम  (1)

अन्याश्रयो न कर्त्तव्य: सर्वथा बाधकस्तु स:
स्वकीये स्वात्मभावश्च  कर्त्तव्य: सर्वथा सदा (2)

 सबके आत्मा रूप से व्याप्त भगवान श्री कृष्ण का ही सदैव भजन करना चाहिए , वो ही हमलोगों के लौकिक पारलौकिक लाभ सिद्ध करंगे (1) दूसरे का आश्रय नही लेना चाहिए क्योंकि वह सर्वदा बाधक होता है;सदा स्वावलंबी  होकर आत्मभाव का पालन करना चाहिए (2)

Wednesday, September 1, 2010

भारतीय जीवन बीमा निगम 1 सितम्बर

भारतीय जीवन बीमा निगम 1 सितम्बर को अपना ५४ वां स्थापना दिवस मना रहा है .............
मेरी ढेर सारी शुभकामनाये ...............

पर्वत कहे

कभी  मै  भी  था  हरा  भरा 
मुझमे था कई जीवो का बसेरा 
नदियाँ,झरना ,पेड़ ,पौधे  
इन सबसे ही था मै भरा 


पर इंसानों को ये न भाया 
जीवो को मैंने है क्यों पाला
पशुओं की पशुता वो सह ना पाए 
पशुओं की भाषा समझ न पाए 


कटते चले गए जंगल  पहाड़-पर्वत 
सूखी नदियाँ ,झरने  अरे!ये किसकी आह्ट
ओ हो! ये तो इन्सां है जो बुद्धजीवी है कहलाता 
और हरे रंग को पीले में परिवर्तित है कर सकता 


आखिर उसकी बुद्धि ने ये रंग दिखाया 
हरी-भारी हरियाली को पीले रेगिस्तान में बदल डाला 
न रहे पशु-पक्षी न ही जानवर 
अब इन्सां भी नही आते जो गए थे ये काम कर

उन्हें अब क्या मिलेगा इस मरूभूमि में
उनको चाहिए एक और हरियाली
जिसे बदलना है पीले रेगिस्तान में
गिरगिट इन्सां को रंग बदलना आता है

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