बताते चलें कि नालगोंडा आंध्र प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला है। आंध्र प्रदेश के बीच में स्थित इस स्थान का प्राचीन नाम नीलगिरी था। नालगोंडा को यदि पुरातत्वशास्त्रियों का स्वर्ग कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा। पाषाणयुग और पूर्वपाषाण युग के अवशेष यहां पाए गए हैं। यहां तक कि कई जगह तो मौर्य वंश के अवशेष भी मिले हैं। केवल पुरातत्व की दृष्टि से ही नहीं बल्िक धार्मिक दृष्टि से भी इस स्थान का बहुत महत्व है। यहां के मेल्लाचुरवु को तो दक्षिण का काशी तक कहा जाता है।
पिल्ललमार्री एक गांव है जहां बहुत सारे प्राचीन मंदिर हैं। यह मंदिर ककातिया काल के वास्तुशिल्प की याद दिलाते हैं। खूबसूरती से तराशे गए खंबों की शोभा देखते ही बनती है। यहां शिलालेखों से काकतिया वंश के बारे में जानकारी मिलती है। कन्नड़, तेलगु में लिखा एक शिला लेख 1208 ईसवी में राजा गणपति के बारे में बताता है। इस जगह कुछ प्राचीन सिक्के भी मिले हैं।